अपने आसपास देखें तो ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएंगे जब कोई बहुत सज्जन व्यक्ति भी दुष्टता का आचरण कर देता है। या कोई समझदार, पढा लिखा व्यक्ति भी किसी प्रकार की बड़ी नासमझी वाला व्यवहार कर देता है। या किसी अच्छे अनुभवी व्यापारी को भी उसके व्यापार में निरंतर हानि होती जाती है। किसी अच्छे विद्यार्थि को उसके शिक्षा के क्षेत्र में असफलता का सामना करना पड़ता है। इन सभी स्थितियों का कारण आवश्यक नहीं है कि आप स्वयं ही हों। कभी कभी हमें ज्ञान ही नहीं हो पाता कि कोई अन्य, जो आपसे ईर्ष्या द्वेष शत्रुता की भावना रखता है, वह भी आपके लिए बहुत प्रकार के निंदनीय तंत्र मंत्र यंत्र प्रयोग कर सकता है। राम चरित मानस की ही एक अन्य चौपाई है, ऊंच निवास नीच करतूती देखी सकहिं न् पराई विभूति।। अर्थात बड़े बड़े घरों में निवास करने वाले लोग भी कभी कभी नीच कर्म कर देते हैं, क्योंकि वह किसी अन्य के सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक उत्थान को सहन नहीं कर पाते। और दुर्भावनाओं से ग्रस्त होकर, अपने प्रतिद्वंद्वी को हानि पँहुचाने के उद्देश्य से प्रतिद्वंद्वी के व्यापार को, शिक्षा को, स्वास्थ्य को, उन्नति को तंत्र मंत्र के द्वारा बांध देते हैं। आज हम इस वीडियो के माध्यम से आपको तंत्र मंत्र के द्वारा बांधे गए शिक्षा व्यवसाय आदि को खोलने के कुछ सरल उपाय बताएंगे। आप वीडियो को ध्यान पूर्वक पूरा अवश्य देखें, और साथ ही अपने इस वैदिक ऐस्ट्रो केयर चैनल को सब्सक्राइब कर नए वीडियो के नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबाकर ऑल सेलेक्ट करना न भूलें।
व्यापार नहीं चल रहा या संतान नहीं हो रही… इन बंधन दोषों को काटते हैं ये आसान उपाय
तंत्र-मंत्र
यदि आप तंत्र-मंत्र या फिर टोने-टोटके जैसी बातों में विश्वास रखते हैं, विश्वास नहीं तो कम से कम इनके बारे कुछ जानकारी रखते हैं, तो आप इस आर्टिकल की गहराई को बखूबी समझ सकेंगे। बंधन अर्थात् बांधना… जिस प्रकार रस्सी से बांध देने से व्यक्ति असहाय होकर कुछ कर नहीं पाता, उसी प्रकार किसी व्यक्ति, घर, परिवार, व्यापार आदि को तंत्र-मंत्र आदि द्वारा बांध देने से काम में रुकावट आ जाती है।
बंधन दोष
बंधन एक ऐसी समस्या है जो यदि किसी व्यक्ति को लग जाए, तो वह समझ भी नहीं पाता कि उसके साथ हो क्या रहा है। यदि बंधन किसी व्यक्ति विशेष पर हो तो उसकी जिंदगी में रुकावट आनी शुरू हो जाती है।
बांधना
प्राचीन समय में इसे बांधना कहा जाता था, यानी कि किसी को तरक्की ना कर देने से रोककर बांधना, लेकिन समय के साथ इसका नाम बदलकर बंधन पड़ गया।
कार्य में रुकावट
यदि व्यापार पर हो तो तमाम कोशिशों के बाद भी व्यापार में घाटा ही मिलता है। वर्षों से जमा की गई पूंजी खत्म होने लगती है, और तो और व्यापार खत्म करने जैसी नौबत भी आ जाती है। इसके अलावा किसी व्यक्ति को नष्ट करने, उसके घर को तबाह करने, उसके दाम्पत्य जीवन को चोट पहुंचाने के लिए भी बंधन जैसी तांत्रिक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।