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कालसर्प दोष पूजा

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कुंडली में राहु और केतु के विशेष स्थिति में होने पर कालसर्प योग बनता है। कालसर्प दोष के बारे में कहा गया है कि यह जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या श्राप के फलस्वरूप, उसकी जन्मकुंडली में बनता है। यदि कुंडली के लग्न भाव में राहु विराजमान हो और सप्तम भाव में केतु ग्रह उपस्थित हो तथा बाकी ग्रह राहु-केतु के एक ओर स्थित हों तो, ऐसी स्थिति में कालसर्प दोष योग का निर्माण होता है।

पूजा की संपूर्ण जानकारी और विधि

कालसर्प दोष के प्रभाव

कालसर्प दोष से प्रभावित जातक को सपने में सांप और पानी दिखाई देने के साथ-साथ, स्वयं को हवा में उड़ते देखना, कार्यों में बार-बार अड़चनें आना और साथ ही इनके विचारों में बार-बार बदलाव आते हैं और कोई भी काम करने से पहले मन में नकारात्‍मक विचार आने लगते हैं। इस दोष से पीड़ित जातक का मन पढ़ाई में नहीं लगता। ये भी देखा गया है कि इससे पीड़ित व्यक्ति नशे का आदि बन जाता है।

कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजा करने का विधान

कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। इस दौरान भगवान शिव की आराधना की जाती है। चूंकि भगवान शिव सर्पों को अपने गले में धारण करते हैं, इसलिए भगवान शिव जी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जातक को अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

कालसर्प दोष निवारण पूजा के लाभ

  • यह पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
  • इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं, वो पूरे हो जाते हैं।
  • शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
  • नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।

कालसर्प दोष की पूजा विधि

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कालसर्प दोष की पूजा एक दिन में किसी विशेषज्ञ पंडित या पुरोहित द्वारा संपन्न की जाती है और इसलिए यह पूजा आमतौर पर सोमवार के दिन से शुरू की जाती है। इस पूजा में विशेषकर नाग-नागिन का एक जोड़ा सोने या चांदी में बनाकर, उनका रुद्राभिषेक कर पूजन किया जाता है। किसी भी पूजा को संपन्न करने में, सबसे आवश्यक कार्य उस पूजा के लिए निर्दिष्ट मंत्र का पाठ करना होता है और यह जाप अधिकांश: 125,000 बार होता है। हालांकि कालसर्प दोष में श्री महामृत्युंजय जाप के अनुसार, आदर्श रूप से यथा संख्या जाप कर श्री महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करते हुए, बाकी प्रक्रिया या विधि इस मंत्र के साथ ही बनाई जाती है। इस प्रकार, हमारे विशेषज्ञ पंडित जी या पुरोहित जी इस पूजा के आरंभ के दिन, एक विशेष संकल्प लेते हैं। अपने इस संकल्प में प्रमुख पंडित जी भगवान शिव के समक्ष शपथ लेते हैं कि वे और उनके अन्य सहायक पंडित एक निश्चित व्यक्ति के लिए यथा संख्या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने जा रहे हैं, जो जातक है और जिनका नाम, उनके पिता का नाम और उनके परिवार का नाम भी संकल्प में लिया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. कालसर्प दोष निवारण पूजा से क्या लाभ मिलता है?

इस पूजा को करने से जन्म कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। जिसके बाद जातक के जीवन में हर बाधा का अंत होते हुए, केवल और केवल सकारात्मकता आती है।

Q2. क्या दोष निवारण पूजा में मेरी शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता होगी ?

नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि इसके अनुष्ठान के दौरान आप शारीरिक रूप से अन उपस्थित होते हुए भी, इस पूजा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

Q3. कालसर्प दोष पूजा कितने समय तक चलती है?

यह पूजा लगभग 5-6 घंटे तक चलती है, जिसमें आचार्य या पंडित जी द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

Q4. कालसर्प दोष पूजन का मुहूर्त कैसे निर्धारित किया जाएगा?

पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।

Q5. जन्मकुंडली में मौजूद कालसर्प दोष मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं?

एक जन्म कुंडली में कालसर्प दोष मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं:-

  • अनंत कालसर्प योग
  • कुलिक कालसर्प योग
  • वासुकी कालसर्प योग
  • शंखपाल कालसर्प योग
  • पद्म कालसर्प योग
  • महापदम कालसर्प योग
  • तक्षक कालसर्प योग
  • कर्कोटक कालसर्प योग
  • शंख चूड़ कालसर्प योग
  • घातक कालसर्प योग
  • विषधार कालसर्प योग
  • शेषनाग कालसर्प योग

Q6. क्या हर व्यक्ति कालसर्प दोष निवारण पूजा कर सकता है?

ये पूजा सिर्फ उसी जातक के लिए होगी, जिसकी कुंडली में ये दोष बन रहा होगा।

Q7. कालसर्प दोष निवारण पूजा की शुरुआत कैसे होगी?

कालसर्प दोष निवारण पूजा हेतु, किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सहायता लेते हुए, ये सुनिश्चित किया जाएगा कि आपकी जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है की नहीं। अगर कुंडली में कालसर्प दोष पाया गया तो, दोष के निवारण के लिए आपकी पूजा को एक विशेष पंडित जी को सौंपा जाएगा और उसका शुभ निर्धारित समय आपको दिया जाएगा। नामित पंडित जी एक समय में केवल एक पूजा करेंगे। इसके बाद पंडित जी या आचार्य जी, आपके व आपके परिवार का विवरण स्वयं आपसे प्राप्त करेंगे और उसके बाद ही संकल्प के साथ पूजा व अनुष्ठान शुरू होगा। पूजा शुरू होने से ठीक पहले, आपको एक कॉल लगाया जाएगा ताकि पंडित जी आपको अपने साथ संकल्प पाठ में शामिल कर सकें। यह पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। यदि पूजा के दौरान आप अपने घर में या मंदिर में हो तो, आप एक शांत स्थान में बैठ कर लगातार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप व पाठ कर सकते हैं।

Q8. कालसर्प दोष निवारण पूजन की समाप्ति पर क्या होगा ?

पूजा के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए पुनः फ़ोन के जरिए शामिल करेंगे। इस प्रक्रिया को “श्रेया दाना” या “संकल्प पूर्ति” के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।

Q9. कालसर्प दोष निवारण पूजन के लिए किस सामग्री का उपयोग होता है?

इस पूजन में धूप, फूल, पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा, आदि विशेषरूप से उपयोग किया जाता है।

Q10. इस पूजा को कराने लिए क्या-क्या जानकारी होना अनिवार्य होता है ?

इस पूजा को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-

  • पूरा नाम
  • गोत्र
  • वर्तमान शहर सहित राज्य, देश, आदि।
  • पूजा करने का उद्देश्य – आप पूजा क्यों कर रहे हैं?

Q11. ऑनलाइन कालसर्प दोष निवारण पूजा से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?

जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का निरंतर जाप कर, इस पूजा से उत्तम फल प्राप्त कर सकते हैं।

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