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महामृत्युंजय जाप पूजा विधि

महामृत्युंजय मंत्र का जाप भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस मंत्र का जाप करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का डर खत्म होता है.

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

महामृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ

इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्‍यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।

महामृत्‍युंजय मंत्र जप की विधि

महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार करना चाहिए। वहीं, भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है। वैसे आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार ​के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए। इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। इस बात का ध्यान रखें कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप न करें। मंत्र का जाप पूर्ण होने के बाद हवन करन उत्तम माना जाता है।

क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप

महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र के बारे में कुछ खास बातेंः
महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र के दो रूप हैं – चतुराक्षरी और दशाक्षरी.
चतुराक्षरी महामृत्युंजय मंत्र है – ‘ऊं हौं जूं स:’.
दशाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र है – ‘ऊं जूं स: माम पालय पालय’.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए शांत जगह चुनें और पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें.
जाप के समय उबासी न लें और आलस्य न करें.
शिवलिंग के पास बैठकर जाप करते समय जल या दूध से अभिषेक करते रहें.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले तामसिक चीज़ों का सेवन न करें.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप 27, 54, या 11 बार किया जा सकता है.
महामृत्युंजय मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी.

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